भारतीय और अमेरिकी विदेश मंत्रियों ने टैरिफ तनाव के बीच भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर जल्द से जल्द सहमति बनाने पर चर्चा की है.
ट्रंप ने भारत पर दो अप्रैल को 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था. पांच अप्रैल से 10 फीसदी बेस रेट लागू हो गया है, जबकि बाकी बचा 16 फीसदी नौ अप्रैल से लागू होगा. ट्रंप के लगाए शुल्क का असर भारतीय शेयर बाजारों पर सोमवार को देखने को मिला और सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने ही तीन फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की थी. अमेरिका के शुल्क लगाने के बाद पहली बार भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने सोमवार, 7 अप्रैल को व्यापार और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की है.
दोनों विदेश मंत्रियों ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर चल रही बातचीत को गति देने की आवश्यकता पर चर्चा की. जयशंकर और रूबियो ने सोमवार शाम को टेलीफोन पर बात की, जो पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दर्जनों देशों पर "पारस्परिक टैरिफ" घोषित करने के बाद पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी.
क्या होता है रेसिप्रोकल टैरिफ
द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द करने का लक्ष्य
जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, "आज अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो से बात करके अच्छा लगा." उन्होंने आगे लिखा, "हम द्विपक्षीय व्यापार समझौते के जल्द समापन के महत्व पर सहमत हुए. मैं संपर्क में बने रहने के लिए उत्सुक हूं."
भारतीय और अमेरिकी व्यापार अधिकारियों ने 26-29 मार्च को दिल्ली में बीटीए पर वार्ता का एक दौर पूरा किया और आगे की वार्ता की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया था. दोनों देशों का लक्ष्य इस साल सितंबर-अक्टूबर तक इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का है.
जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और रूबियो ने "भारत-प्रशांत, भारतीय उपमहाद्वीप, यूरोप, मध्य पूर्व/पश्चिम एशिया और कैरिबियन पर भी खुलकर चर्चा की." लेकिन उन्होंने चर्चाओं का कोई और ब्यौरा नहीं दिया.
भारत ने अब तक अमेरिकी टैरिफ पर कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की है, अधिकारियों का कहना है कि सरकार इस साल बीटीए के पहले भाग को पूरा करने की उम्मीद कर रही है, जिससे भारत के टैरिफ में पर्याप्त कमी आएगी और अमेरिकी वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच का दायरा बढ़ेगा, जिसके नतीजे में ट्रंप प्रशासन का रुख नरम होगा. वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान में केवल इतना कहा गया था कि अधिकारी टैरिफ का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं.
ट्रंप की टैरिफ घोषणा के बाद एक इंटरव्यू में अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने टैरिफ लगाए जाने वाले देशों को चेतावनी दी थी कि वे काउंटर-टैरिफ ना लगाएं. उन्होंने कहा था, "मेरी सलाह है कि जवाबी कार्रवाई ना करें, आराम से बैठें, इसे स्वीकार करें, देखते हैं कि यह कैसे होता है. अगर आप जवाबी कार्रवाई करते हैं तो और वृद्धि होगी, और आप जवाबी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो यही उच्चतम स्तर रहेगा."
दुनियाभर के शेयर बाजारों में हाहाकार
भारत का अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क केवल 7-8 प्रतिशत: गोयल
इस बीच केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि भारत का अमेरिकी उत्पादों पर लागू शुल्क सिर्फ सात-आठ प्रतिशत है और यह बहुत अधिक नहीं है. गोयल ने अमेरिका के साथ चल रही बातचीत के बारे में जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि भारत का मानना है कि वह उन देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते कर सकता है जो निष्पक्ष व्यापार गतिविधियों का पालन करते हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिकी शुल्क और इसके भारतीय कारोबार पर पड़ने वाले प्रभाव की आशंकाओं के बीच पीयूष गोयल इस सप्ताह निर्यातकों से मुलाकात कर सकते हैं. इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, यह बैठक बुधवार को हो सकती है, जिसमें मंत्रालय के अधिकारी और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) और निर्यात संवर्धन परिषदों (एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल) के प्रतिनिधियों के अलावा अन्य उद्योग से जुड़े लोग शामिल हो सकते हैं.
अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यातकों में चिंता
अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय उत्पादों पर 26 फीसदी रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के बाद से विशेष रूप से एमएसएमई से जुड़े निर्यातक अपने व्यापार पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं और वो इससे निपटने के लिए कुछ सरकारी प्रोत्साहन की मांग कर रहे हैं. इंडियन फार्मास्युटिकल एक्सपोर्टर्स के साथ भी वाणिज्य मंत्रालय लगातार बातचीत कर रहा है. दरअसल, इस क्षेत्र पर संभावित अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ की पहली किस्त में छूट दी गई थी. हालांकि मार्जिनल टैरिफ से बहुत अधिक असर नहीं पड़ सकता, लेकिन भारी शुल्क निर्माताओं के प्रॉफिट मार्जिन को नुकसान पहुंचा सकता है.
भारत ने वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका को 8 अरब डॉलर के फार्मा उत्पाद निर्यात किए. भारत, अमेरिका में खपत होने वाली जेनेरिक दवाओं का 40 प्रतिशत सप्लाई करता है. वित्त वर्ष 2023 से अमेरिका को भारत का निर्यात घट रहा है, कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी लगभग 17-18 प्रतिशत है.
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात की जाने वाली शीर्ष 15 वस्तुओं का कुल निर्यात में 63 प्रतिशत हिस्सा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक विकास में मंदी और शुल्क में दुनिया भर में बढ़ोतरी हो रही है. इस की वजह से वैश्विक वित्तीय अस्थिरता बढ़ने पर भारतीय अर्थव्यवस्था ज्यादा प्रभावित होगी.
भारत पर लगाए गए टैरिफ एशियाई देशों में सबसे कम हैं, जबकि चीन पर 34 प्रतिशत, थाईलैंड पर 36 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत और वियतनाम पर 46 प्रतिशत हैं. एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भारत को इन देशों पर तुलनात्मक लाभ मिलने की उम्मीद है और इसके नतीजे में लंबी अवधि में कुछ क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि होगी.